गुरप्रीत सिंह संधू बायोग्राफी | Gurpreet Singh Sandhu Biography
जानकारी | |
पूरा नाम | गुरप्रीत सिंह संधू (Gurpreet Singh Sandhu) |
स्पोर्ट कैटेगरी | फुटबॉल ( गोलकीपर ) |
लम्बाई | 1.98 मीटर (6 फुट 6 इंच) |
उम्र | 27 साल |
जन्मदिन | 3 फरवरी 1992 |
होमटाउन | चमकौर साहिब, पंजाब |
लम्बाई | 1.98 मीटर |
माता-पिता का नाम | तेजिंदर सिंह संधू और हरजीत कौर |
भारतीय फुटबॉल टीम के गोलकीपर. भारत के कुछ खिलाड़ियों में से एक जिन्होंने यूरोपीय क्लब के लिए फुटबॉल खेला. 3 फरवरी 1992 चौमकॉर साहब, पंजाब भारत में जन्में इस खिलाड़ी ने छोटी उम्र में ही काफी नाम बना लिया था. 6 फुट 6 इंच कद-काठी के इस खिलाड़ी ने फुटबॉल खेलने की शुरुआत ‘सेंट स्टीफेंस एकेडमी’ से की. यहां अच्छा प्रदर्शन करने के बाद वह यूथ सिस्टम आईलीग क्लब ईस्ट बंगाल के लिए खेले.
गुरप्रीत सिंह संधू ने भारत की अंडर-19 टीम, अंडर-23 का भी प्रतिनिधित्व किया है. संधू ने भारत की राष्ट्रीय टीम के साथ पहला मैच टर्कमेनिस्तान के खिलाफ वर्ष 2011 में खेला था. इस मैच में वह क्लीन सीट रखने में नाकाम रहे थे, मैच की अन्तिम स्कोरलाइन 1-1 रही थी. इस मैच के बाद उन्होंने अपना दूसरा मैच 2 साल बाद खेला. मतलब भारत की राष्ट्रीय टीम में डेब्यू करने के बाद उन्हें अपना दूसरा मैच खेलने में 2 साल लगे.
गुरप्रीत ने ईस्ट बंगाल के साथ काफी मेहनत की. 2010-11 के सीज़न में उन्हें पेलन एरॉस को लोन में दिया गया था. ईस्ट बंगाल में लौटने के बाद उनके प्रदर्शन ने बड़े पैमाने में परिवर्तन देखने को मिला. सिंधू के शॉट स्टॉपर के गुर को देखकर देश-विदेश में उनका नाम बनने लगा. स्काउट्स का ध्यान आकर्षित होता है.
Gurpreet Singh Sandhu Biography: संधू ने 15 अगस्त 2014 को नार्वे के क्लब स्टाबॉक को जॉइन किया. व ऐसा करने के बाद वह विदेशी धरती पर क्लब फुटबॉल खेलने वाले कुछ भारतीय खिलाड़ियों की चुनिंदा ग्रुप में शामिल हो गए. उन्होंने ज्यादातर उनके लिए कप मैच खेले. उन्होंने 3 वर्षों में खेले गए 11 मैचों मे 6 क्लीन सीट रखी. मगर यहां उनको मैच में खेलने के मौके बहुत कम मिले जिसकी वजह से वह भारत वापस आ गए और यहां आने के बाद संधू ने आईएसएल सीजन 4 के दौरान 2017 में बेंगलुरु एफसी का क्लब ज्वाइन किया.
इस भारतीय खिलाड़ी ने अपने करियर में काफी समय सुब्रत पॉल के साथ गुजारा. जहां संधू ने काफी कुछ उनसे सीखा. जब गुरप्रीत स्टैबेक के लिए खेल रहे अंतरराष्ट्रीय ख्याति की सीढ़ी चढ़ रहे थे, तब राष्ट्रीय टीम के साथ उनकी भागीदारी सीमित थी. उन्होंने विश्व कप क्वालीफायर के दौरान 2015 में भारतीय गोलकीपर के रुप में पहली पसंद माना गया. उनकी कप्तानी में भारत ने 2016 में प्यूर्टो रिको को 4-1 से हराया था. तब से लेकर अब तक उनके प्रदर्शन में हमेशा बेहतर ही होता रहा है.
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